उपसहसंयोजक यौगिक महत्वपूर्ण बिंदु
1.लिगेंड
उदासीन परमाणु या आयन (धनायन या ऋणायन) जो केन्द्रीय धातु परमाणु को एकांकी इलेक्ट्रोन युग्म प्रदान करते है लिगेंड कहलाते है सभी लिगेंड लुईस क्षार होते है।
2.समन्वय संख्या या उपसहसंयोजन संख्या
केन्द्रीय धातु परमाणु जितने एकांकी इलेक्ट्रोन युग्म ग्रहण करता है वह उसकी उपसहसंयोजन संख्या कहलाती है।
किसी भी धातु की न्यूनतम समन्वय संख्या 2 होती है उदाहरण – Ag
यदि छः एकदंतुक लिगेंड उपस्थित हो तो समन्वय संख्या 6 होती है।
[Co(NH3)6]Cl3 NH3 = एकदंतुक लिगेंड
यदि तीन द्विदंतुक लिगेंड उपस्थित हो तो समन्वय संख्या 6 होती है।
[Co(en)3]Cl3 en = द्विदंतुक लिगेंड
यदि एक षटदंतुक लिगेंड उपस्थित हो तो समन्वय संख्या 6 होती है।
[Co(EDTA)]– EDTA4- = षटदंतुक लिगेंड
3.केन्द्रीय धातु परमाणु
एकांकी इलेक्ट्रोन युग्म ग्रहण करने वाला धातु परमाणु केन्द्रीय धातु परमाणु कहलाता है सभी केन्द्रीय धातु परमाणु लुईस अम्ल होते है।
4.उपसहसंयोजन क्षेत्र (समन्वय मंडल)
उपसहसंयोजक यौगिक में वर्गाकार कोष्ठक के मध्य उपस्थित भाग उपसहसंयोजन क्षेत्र कहलाता है उपसहसंयोजन क्षेत्र पर धनावेश या ऋण आवेश हो सकता है जो संकुल के आवेश को व्यक्त करता है।
उपसहसंयोजन क्षेत्र में उपस्थित धातु आयन व लिगेंड अपने आयनों में परिवर्तित नहीं होते है।
यदि संकुल ऋण आयनिक अवस्था में हो तो बाएँ भाग में धनायन लिखा जाता है।
[Fe(CN)6]3- + 3K+→ K3[Fe(CN)6]
यदि संकुल धन आयनिक अवस्था में हो तो दाएँ भाग में ऋण आयन लिखा जाता है।
[Co(NH3)6]3+ + 3Cl– → [Co(NH3)6]Cl3
5.आयनन क्षेत्र
उपसहसंयोजक यौगिक का बांयी तरफ का भाग आयनन क्षेत्र कहलाता है जो संकुल के आवेश को संतुलित करता है।
6.समन्वय बहुफलक
केन्द्रीय धातु परमाणु और लिगेंड की द्विकस्थान व्यवस्था कों समन्वय बहुफलक कहा जाता है।
उदाहरण –
होमोलेप्टिक संकुल
वे संकुल जिनमें केन्द्रीय धातु परमाणु से एक ही प्रकार का दाता परमाणु जुड़ा हुआ हो होमोलेप्टिक संकुल कहलाते है।
उदाहरण – [Co(NH3)6]3+ , [Fe(CN)6]3-
हेट्रोलेप्टिक संकुल
वे संकुल जिनमें केन्द्रीय धातु परमाणु से एक से अधिक प्रकार के दाता परमाणु जुड़े हो हेट्रोलेप्टिक संकुल कहलाते है।
उदाहरण – [Co(NH3)3Cl3]
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