धातुओं का शुद्धिकरण

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धातुओं का शुद्धिकरण

(A)आसवन – ऐसी धातु जो जल्दी ही वाष्प आस्था में आ जाते हैं Ex. Zn, Hg उन्हें उच्च तापमान पर गर्म करके वाष्प अवस्था में बदल लेते हैं इस वाष्प को संघनित करके शुद्ध धातु प्राप्त कर लेते हैं।

(B) गलनिक पृथक्करण – ऐसे धातु जिनका गलनांक कम होता है उनको ढलवा प्लेटफोर्म पर रखकर गलने तक  गर्म किया जाता है धातु पिघलकर प्लेटफार्म की ढलवा सतह से नीचे आ जाता है और अशुद्धियाँ प्लेटफार्म पर ही रह जाती है। उदाहरण – टिन का शुद्धिकरण

(C) विद्युत अपघटन विधि – इस विधि में अशुद्ध धातु का एनोड तथा  शुद्ध धातु का कैथोड बनाकर उन्हें धातु के लवण में डूबोकर विद्युत अपघटनी सेल बनाते हैं जब सेल में धारा प्रवाहित करते हैं तो अशुद्ध एनोड से धातु आयनों के रूप में टूट कर कैथोड पर जमा हो जाता है तथा इस प्रक्रिया में के अंत में पूर्णतया शुद्ध धातु का कैथोड प्राप्त होता है घुलनशील अशुद्धियां विलयन में चली जाती है तथा एक अघुलनशील अशुद्धियां एनोड के नीचे जमा हो जाती है जिसे एनोड पंक कहा जाता है। उदाहरण – Au , Pt

एनोड पर – Cu (अशुद्ध) → Cu2+ +2e

कैथोड पर – Cu2+ + 2e → Cu (शुद्ध)

(D) मंडल परिष्करण (शुद्धिकरण)

यह विधि इस सिद्धांत पर आधारित है कि अशुद्धियां धातु की गलित अवस्था में ज्यादा विलेयशील होती है बजाय ठोस अवस्था के , जिस धातु को शुद्ध करना है उसकी एक छड़ बनाते हैं इस छड़ के एक सिरे से दूसरे सिरे की और वृताकार गतिशील तापक को ले जाते है जब धातु पिघलता है तो इसकी अशुद्धियां गलित मंडल में आ जाती है और जैसे – जैसे तापक आगे की तरफ चलता है वैसे-वैसे अशुद्धियाँ भी छड़ के दूसरे सिरे की और खिसकती रहती है इस क्रिया को बार बार दोहराने पर अंत में अशुद्धियां छड़ के एक सिरे पर इकट्ठी हो जाती है जिन्हें काटकर अलग कर दिया जाता है इस विधि अर्धचालक युक्ति बनाने वाले धातु सिलिकॉन, जर्मेनियम , बोरॉन ,इंडियम  आदि का शुद्धिकरण करते है ।

धातुओं का शुद्धिकरण

(E) वाष्प प्रावस्था शुद्धिकरण – इस विधि में धातु को शुद्ध करने के लिए उसकी किसी अभिकारक से क्रिया करवा कर वाष्पशील यौगिक बना लेते हैं उस वाष्पशील यौगिक को उच्च तापमान पर गर्म करके अभिकारक को उससे अलग कर दिया जाता है और शुद्ध धातु की वाष्प बनती है जिसको संघनित करके अलग कर लेते हैं ।

(1) निकल शोधन का मांड प्रक्रम

इस विधि में अशुद्ध निकल को कार्बन मोनोऑक्साइड के साथ गर्म करने पर टेट्रा कार्बोनिल निकिल बनता है जिसको और अधिक तापमान पर गर्म करने पर कार्बन मोनोऑक्साइड अलग हो जाती है ।

Ni (अशुद्ध)  + 4CO → Ni(CO)4 (तापमान 330 -350 k)

Ni(CO)4  →  Ni (शुद्ध)  + 4CO  (तापमान 450 -470 k)

(2) वान-ओर्केल विधि – यह विधि Zr और Ti के शोधन के लिए काम में ली जाती है Zr और Ti को आयोडीन के साथ गर्म करने पर इनके अवाष्पशील आयोडाइड बनते हैं जिन्हें उच्च तापमान पर गर्म किए नाइक्रोम(टंगस्टन) तंतु पर ले जाते हैं जिससे धातु तंतु पर जमा हो जाती है और आयोडीन वाष्प के रूप में उड़ जाती है ।

Zr (अशुद्ध) + 2I2 → ZrI4

ZrI4 → Zr (शुद्ध) + 2I2 (तापमान – 1800k)

Ti (अशुद्ध) + 2I2 → TiI4 (तापमान – 500k)

TiI4 → Ti (शुद्ध) + 2I2

(F) वर्ण लेखिकी विधि (क्रोमेटोग्राफी)

इस विधि में जिस पदार्थ को शुद्ध करना है उसका गैसीय विलायक या द्रव विलायक में मिश्रण बना लेते है । इस मिश्रण को अधिशोषण स्तंभ में गिराते हैं जिसमें मिश्रण के अलग-अलग घटक अधिशोषण स्तंभ के अलग-अलग स्तरों पर अधिशोषित हो जाते हैं। स्तंभ से अधिशोषित पदार्थों को उपयुक्त विलायक में घोलकर निकाल लेते हैं।

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6 -धातुओं के उपयोग

एल्युमिनियम – चोकलेट के रैपर बनाने में , बर्तन बनाने में , बिजली के तार बनाने में. हल्की मिश्रधातुएं बनाने में  प्रलेपो (पेंट) व प्रलाक्षो (रोगन) बनाने में किया जाता है ।

जिंक – बैटरी बनाने में , मिश्र धातु पीतल (Cu+Zn), जर्मन सिल्वर बनाने में (Cu + Zn + Ni)

कॉपर – पीतल व कांसा बनाने में ,बिजली के तार बनाने में, विद्युत उपकरणों की कुंडलियां बनाने में

आयरन – मशीनों के औजार, रेल के डिब्बे , पटरिया. पुल बनाने में

 


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3 Comments

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  • 0 / 10
  • Harkesh Saini , 23/01/2022 @ 4:37 अपराह्न

    VERY GOOD NOTES

  • Suman kumari , 23/06/2022 @ 4:05 अपराह्न

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    Thank You So Much Sir🙏🙏

  • Temp Mail , 14/08/2024 @ 11:08 अपराह्न

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