धातुकर्म का उष्मागतिकी सिद्धांत

धातुकर्म का उष्मागतिकी सिद्धांत

धातुकर्म का उष्मागतिकी सिद्धांत(आलिंघम आरेख)

उष्मागतिकिय रूप में किसी प्रक्रम के लिये

ΔG = ΔH –TΔS

धातु ऑक्साइड के अपचयन में ऑक्सीजन धातु से मुक्त होती है इसलिए प्रक्रम की एंट्रोपी हमेशा बढती है।

उपरोक्त समीकरण के अनुसार ΔS धनात्मक है अतः तापमान बढ़ाने पर TΔS का मान और अधिक बढ़ेगा तथा ΔH < TΔS होने पर प्रक्रम परिवर्तित होगा।

किसी विशेष अभिक्रिया के लिए

ΔGϴ =-RTlnK

स्पष्ट है कि जब साम्य स्थिरांक K का मान ज्यादा होगा तो उत्पाद ज्यादा बनेंगे और इसे ऐसे भी समझ सकते है कि ΔG भी ज्यादा ऋणात्मक रहेगा। ताप बढाने पर भी ΔG का मान अधिक ऋणात्मक होता है अतः अपचायक द्वारा आसानी से अपचयन हो जायेगा।

MxO(s) + C(s)→xM(s/l) + CO(g)

उपरोक्त प्रक्रम में निम्न दो अभिक्रियाएं होती है।

  1. MxO(s) →xM(s/l) + ½ O2(g)
  2. C +O2 → CO(g)

अपचयन की क्रिया भट्टी में कराई जाती है जहां कार्बन का अलग अलग प्रकार से ऑक्सीकरण हो सकता है उपरोक्त दोनों अभिक्रियाओं के लिए अलग अलग ΔG के मान ज्ञात किये जाते है यदि दोनों के लिए ΔG का योग ऋणात्मक आ जाता है तो दिए गए अपचायक (C) के द्वारा दिए गए धातु ऑक्साइड का अपचयन हो जाता है ।

MxO(s) →xM(s/l) + ½ O2(g) (ΔGF(MxO(s)→xM)) ————- समीकरण (1)

अपचायक का ऑक्सीकरण निम्न कई प्रकार से हो सकता है।

C(s) + ½ O2(g) →CO(g)  [ΔG C→CO] ————- समीकरण (2)

CO(g) + ½ O2(g) →CO2(g)  [ΔG CO→CO2] ————- समीकरण (3)

½ C +  ½ O2 → ½ CO2        [ΔG C→CO2] ————- समीकरण (4)

समीकरण (2) ,(3)  व (4) कों अलग अलग समीकरण (1) में जोड़कर सम्पूर्ण अभिक्रिया कों प्राप्त कर सकते है।

समीकरण (1) व (2) से

MxO + C + ½ O2 →xM + ½ O2 + CO

MxO+ C →xM + CO

rG = [ΔGF(MxO(s)→xM) + ΔGC→CO]

समीकरण (1) व (3) से

MxO + CO + ½ O2 → xM + CO2  + ½ O2

MxO + CO → xM + CO2

rG = [ΔGF(MxO→xM) + ΔG CO→CO2]

समीकरण (1) व (4) से

MxO + ½ C +  ½ O2 → xM + ½ CO2  + ½ O2

MxO + ½ C → xM + ½ CO2

rG = ΔGF(MxO→xM) + ΔG C→CO2]

ΔrG अथवा ΔGr का मान ऋणात्मक होने पर अपचायक द्वारा अपचयन हो जायेगा ।

धातुकर्म का उष्मागतिकी सिद्धांत

आलिंघम आरेख में गिब्ज ऊर्जा परिवर्तन तथा तापमान के मध्य आरेख विभिन्न ऑक्सीकरण अभिक्रियाओं के लिए बनाये गए है जिसमे अपचायक का ऑक्सीकरण तथा धातु का भी ऑक्सीकरण प्रदर्शित किया गया है इस आरेख के द्वारा यह पता किया जाता है कि दिए गए अपचायक के द्वारा किस तापमान पर दिए गए धातु ऑक्साइड का अपचयन होगा ।


धातुकर्म का उष्मागतिकी सिद्धांत


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