ठोस अवस्था परिचय
गैस व द्रव को उनके प्रवाह के कारण तरल कहा जाता है इन दोनों में अणुओं में स्वतंत्र गति के कारण तरलता पाई जाती है जबकि ठोसों में ऐसा नहीं होता है ठोस अपनी माध्य स्थिति के चारों और दोलन करते हैं इससे ठोसों की कठोरता स्पष्ट होती है lठोसों में यह गुण कणों की प्रकृति उनके मध्य उपस्थित बंधन बलों पर निर्भर करती है lअंतर आणविक बल तथा तापीय ऊर्जा ठोसों में यह दो ऐसे कारक हैं जिन पर पदार्थ की भौतिक अवस्थाएँ निर्भर करती है lअंतर आणविक बल आकर्षण के कारण कणों को एक दूसरे के पास रखते हैं तथा तापीय ऊर्जा कणों को तेजी से एक दूसरे से अलग रखने की प्रवृत्ति रखती है l यह दोनों बल विपरीत है जब इन दो विपरीत बलों (अंतर आणविक बल, तापीय ऊर्जा) का परिणामी परिणाम कणों को एक साथ जकड़ लेता है और उन्हें स्थिर रहने के लिए मजबूर करता है तो पदार्थ ठोस अवस्था में मौजूद होते हैं l इस अध्याय में हम कणों की विभिन्न व्यवस्थाओं से अनेक प्रकार की संरचनाओं का अध्ययन करेंगे तथा यह जानेंगे कि संरचनात्मक इकाइयों के अलग-अलग प्रकार से व्यवस्थित होने से ठोसों के गुण किस प्रकार बदल जाते हैं l इस प्रकार ठोसों में निम्न गुण पाए जाते है सभी ठोस कणों से मिलकर बने होते हैं यह कण परमाणु ,अणु तथा आयन हो सकते हैं ठोसों का निश्चित आकार ,द्रव्यमान व आयतन होता है ठोसों में अंतराअणुक आकर्षण बल बहुत ही प्रबल होते है l
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