वेग को प्रभावितकरने वालेकारक
रासायनिक अभिक्रिया के वेग को प्रभावित करने वाले कारक
1.अभिकारकों की सांद्रता – रासायनिक अभिक्रिया का वेग अभिकारकों की सांद्रता के समानुपाती होता है अर्थात कियाकारकों की सांद्रता बढ़ने पर अभिक्रिया का वेग बढ़ता है प्रथम एवं द्वितीय कोटि की अभिक्रिया में कियाकारकों का सांद्रण दुगुना करने पर वेग क्रमशः दुगुना एवं चार गुना हो जाता है। (शून्य कोटि की अभिक्रिया के अलावा)
2.उत्प्रेरक – उत्प्रेरक सामान्यतः रासायनिक अभिक्रिया के वेग को बढ़ा देते हैं उत्प्रेरक अभिक्रिया की सक्रियण ऊर्जा को कम कर देते है । उत्प्रेरक की उपस्थिति में अवरोधक ऊर्जा का परिमाण कम हो जाता है इस कारण अधिक संख्या में अणु अवरोधक ऊर्जा को पार कर जाते है जिसके कारण अभिक्रिया का वेग बढ़ जाता है।
3.प्रकाश – कुछ अभिक्रिया धीमी गति से होती हैं वे अभिक्रिया जो धीमी गति से होती हैं विशेष विकिरणों द्वारा अभिक्रिया का वेग बढ़ जाता है।
4.पृष्ठीय क्षेत्रफल – विषमांग अभिक्रिया का वेग कियाकारकों का पृष्ठीय क्षेत्रफल बढ़ने पर बढ़ता है क्योंकि पृष्ठीय क्षेत्रफल बढ़ने पर क्रियाकारकों के मध्य टक्करों की दर बढ़ जाती है यही कारण है कि ठोस कियाकारकों को सदैव चूर्ण के रूप में प्रयुक्त किया जाता है।
5.ताप – ताप बढ़ाने पर रासायनिक अभिक्रिया का वेग बढ़ जाता है क्योंकि ताप बढ़ाने पर अभिकारक अणुओं की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है रासायनिक अभिक्रिया का ताप 10 डिग्री सेंटीग्रेड बढ़ाने पर अभिक्रिया का वेग 2 गुना 3 गुना हो जाता है 100C अंतर के तापों पर विशिष्ट अभिक्रिया वेगों के अनुपात को ताप गुणांक कहते है।
ताप गुणांक = Kt+10/Kt इसका मान सामान्यतया 2 व 3 के मध्य होता है।
यदि ताप 10 से n गुना बढा दे तो दर – (2n-1) गुना बढ़ जायेगी।
यदि ताप 0º से n गुना बढा दे तो दर – (2n) गुना बढ़ जायेगी।
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