कोलाइडो का शुद्धिकरण
कोलाइडो का शुद्धिकरण
थोड़ी सी मात्रा में विद्युत अपघट्य कोलाइडो को स्थाई बनाता है लेकिन उससे अधिक मात्रा में उपस्थित होने पर कोलाइड अशुद्ध हो जाता है इसके अलावा कोलाइड में कुछ घुलनशील विलय पदार्थ की भी अशुद्धियां होती है अतः कोलाइड को शुद्ध करना जरूरी है जिसकी निम्न विधियां है।
अपोहन
इस विधि में कोलाइडी विलयन को विशेष प्रकार की जांतव झिल्ली अथवा सेलोफेन झिल्ली में भरकर एक पात्र में लटका देते हैं तथा पात्र में जल प्रवाहित करते हैं आवश्यकता से अधिक विद्युत अपघट्य और घुलनशील विलेय पदार्थ उपरोक्त अपोहक झिल्ली में से होकर बाहर जल में आ जाते हैं कोलाइडी कण आकार में बड़े होने के कारण झिल्ली से बाहर नहीं निकलते हैं और धीरे-धीरे कोलाइडी विलयन शुद्ध हो जाता है।
विद्युत अपोहन
अपोहन की क्रिया बहुत धीरे-धीरे चलती है इसे विपरीत आवेशित इलेक्ट्रोड लगाकर तेज किया जाता है क्योंकि कोलाइडी विलयन में उपस्थित आवश्यकता से अधिक विद्युत अपघट्य के आयन विपरीत आवेशित इलेक्ट्रोड की तरफ तेजी से गति करके बाहर निकल जाते हैं इस विधि को विधुत अपोहन कहते हैं।
अतिसूक्ष्म निस्यंदन
इस विधि में सामान्य फिल्टर पेपर को उपचारित करके काम में लिया जाता है सामान्य फिल्टर पत्र में से यदि कोलाइडी विलयन को गुजारते हैं तो अन्य विलेयशील पदार्थ के साथ कोलाइडी कण भी छन जाते हैं अतः इन्हें रोकने के लिए फिल्टर पत्र को एल्कोहॉल व ईथर में नाइट्रोसैलूलोज का 4% विलयन से उपचारित करते हैं जिससे रंध्रों का आकार छोटा हो जाता है तथा फोर्मेल्डीहाइड में कठोर बनाकर सुखा लेते है रंध्रों का छोटा होना अतिसूक्ष्म निस्यंदन कहलाता है।
कोलोडियन एल्कोहॉल व ईथर में नाइट्रोसैलूलोज का 4% विलयन
अतिसूक्ष्म निस्यंदन के द्वारा कोलाइडी विलयन को छानते हैं जानते हैं जिससे कोलाइडी कण निस्यन्दक पत्र पर ही रह जाते हैं और परिक्षेपण मध्यम सहित अशुद्धियां छन जाती है निस्यन्दक पत्र पर उपस्थित शुद्ध कोलाइडी कणों (परिक्षिप्त प्रावस्था) को शुद्ध परिक्षेपण माध्यम में मिलाकर शुद्ध कोलाइडी सॉल तैयार करते हैं।