उत्प्रेरण के प्रकार
उत्प्रेरण के प्रकार – 1.समांगी उत्प्रेरण 2. विषमांगी उत्प्रेरण
1.समांगी उत्प्रेरण
उत्प्रेरण की क्रिया में जब अभिकारकों और उत्प्रेरक की भौतिक अवस्था (द्रव्य या गैस) समान हो
उदाहरण —2.विषमांगी उत्प्रेरण
जब उत्प्रेरण की क्रिया में अभिकारकों और उत्प्रेरक की भौतिक अवस्था असमान होती है।
इस प्रक्रिया में उत्प्रेरक ठोस तथा अभिकारक गेस या द्रव अवस्था में लेते हैं ।
विषमांगी उत्प्रेरण का अधिशोषण सिद्धांत
अधिशोषण के पुराने सिद्धांत के अनुसार उत्प्रेरक जब अभिकारकों के अणुओं का अधिशोषण करता है तो निकलने वाली अधिशोषण ऊष्मा के कारण अभिक्रिया का वेग बढ़ जाता है वर्तमान में उत्प्रेरक की मध्यवर्ती अवस्था (सक्रियता संकर) का सिद्धांत भी मान्य है अतः उपरोक्त दोनों के अनुसार विषमांगी उत्प्रेरण का अधिशोषण सिद्धांत दिया गया है।
प्रमुख बिंदु :-
- अभिकारकों का उत्प्रेरक की सतह पर विसरण
- अभिकारकों का उत्प्रेरक की सतह पर अधिशोषण
- अभिकारकों वह उत्प्रेरक के द्वारा मध्यवर्ती सक्रियता संकर का निर्माण
- अभिकारकों के अणुओं का आपस में क्रिया करके उत्पाद निर्माण व उत्पाद का विशोषण
- उत्प्रेरक की सतह से उत्पाद का दूर विसरण
ठोस उत्प्रेरक के अभिलक्षण
- सक्रियता – एक उत्प्रेरक की सक्रियता इस बात पर निर्भर करती है कि वह अपनी सतह पर अभिकारकों का अधिशोषण कितनी तेजी से करता है अधिशोषण जितना तेजी से होगा अभिक्रिया का वेग भी उतना ही बढ़ेगा।
- विशिष्ट प्रकृति/चयनात्मकता – उत्प्रेरक अभिक्रियाओं के लिए विशिष्ट तो होते ही हैं तथा समान अभिकारकों को लेकर अलग-अलग उत्प्रेरक अभिक्रिया को अलग-अलग दिशा देकर अलग-अलग उत्पादों का निर्माण करते हैं।
CO(g) + 3H2 (g) → CH4 + H2O उत्प्रेरक = Ni
CO(g) + 2H2 (g) → CH4 + H2O उत्प्रेरक = ZnO-Cr2O3
CO(g) + H2 (g) → CH4 + H2O उत्प्रेरक = Cu
जिओलाइट का आकार वरणात्मक उत्प्रेरण
जिओलाइट ऐसे उत्प्रेरक होते हैं जो विशेष आकार वाले अभिकारक व उत्पादों के अणुओं से संबंधित अभिक्रियाओं को ही उत्प्रेरित करते हैं । एल्यूमिनोसिलिकेट सबसे सामान्य प्रकार के आकार वरणात्मक उत्प्रेरक है जिनमें (Al-O-Si) संरचना वाला त्रिविम जालक होता है तथा इसकी संरचना मधुमक्खी के छत्ते के समान होती है।
जिओलाइट का सामान्य सूत्र – Na2Al2Si2O8.xH2O
जिओलाइट को गर्म करने पर इसमें उपस्थित जल के अणु वाष्पित हो जाते हैं।
अन्य उदाहरण – ZSM-5 नामक जिओलाइट पेट्रोरसायन में उपयोग होता है तथा यह एल्कोहॉल के निर्जलीकरण से प्राप्त होने वाले हाइड्रोकार्बनों को सीधे ही गैस और पेट्रोल में बदल देता है।