हिमांक में अवनमन
माना शुद्ध विलायक का हिमांक बिंदु TF0 है शुद्ध द्रव विलायक को जब ठंडा किया जाता है तब इसके वाष्पदाब में धीरे-धीरे कमी आती है अब जब इसका वाष्पदाब शुद्ध द्रव विलायक की ठोस अवस्था के वाष्पदाब के बराबर हो जाता है तो उसी तापमान पर यह जम जाता है।
हिमांक वह निश्चित ताप जिस पर उसकी द्रव व ठोस अवस्था का वाष्पदाब समान हो।
अब यदि इस शुद्ध द्रव्य विलायक की w1 ग्राम मात्रा में M2 अणु भार वाले विलेय पदार्थ की w2 ग्राम मात्रा मिलाकर विलयन बनाया जाता है तो विलयन का वाष्पदाब पहले से कम हो जाएगा जब इस विलयन को ठंडा करेंगे तो यह उस तापमान पर जमेगा जब इसका वाष्पदाब विलयन की ठोस अवस्था के वाष्पदाब के बराबर हो जाता है क्योंकि विलयन की ठोस अवस्था का वाष्पदाब शुद्ध विलायक की ठोस अवस्था की वाष्पदाब से कम है अतः हमें विलयन को जमाने के लिए विलायक की अपेक्षा और अधिक ठंडा करना पड़ेगा अर्थात इसका हिमांक बिंदु घट जाएगा इसे ही हिमांक में होने वाला अवनमन कहते हैं।
यदि शुद्ध विलायक का हिमांक TF0 तथा विलयन का हिमांक TF हो तो हिमांक में होंने वाला अवनमन
प्रयोगों द्वारा देखा गया है कि हिमांक में यह अवनमन विलयन की मोललता के समानुपाती होता है।
Kf की परिभाषा :- यदि विलायक की 1Kg मात्रा मे अवाष्पशील विलेय का एक मोल मिला दिया जाए तो हिमांक में होने वाले अवनमन को मोलल अवनमन स्थिरांक कहा जाता है।
1 Comment