क्वथनांक में उन्नयन
शुद्ध द्रव विलायक सामान्य दाब (वायुमंडलीय दाब) पर एक निश्चित क्वथनांक पर उबलता है जब शुद्ध द्रव विलायक को गर्म करते हैं तो धीरे-धीरे इसका वाष्प दाब बढ़ता है जब इसका वाष्प दाब वायुमंडलीय दाब के बराबर हो जाता है तब यह उबलना शुरू कर देता है।
वह ताप जिस पर द्रव विलायक का वाष्प दाब वायुमंडलीय दाब के बराबर हो जाता है उसे क्वथनांक कहा जाता है।
जल को 1000c ताप पर गर्म करने पर इसका वाष्प दाब 1 वायुमंडलीय या 1.013 बार (वायुमंडलीय दाब) हो जाता है जब शुद्ध द्रव विलायक में थोड़ा सा अवाष्पशील विलेय पदार्थ मिला देते हैं तो इसके वाष्प दाब में कमी आती है और अब जब इस को विलयन गर्म करते हैं तो पहले से अधिक ताप पर इसका वाष्प दाब वायुमंडलीय दाब के बराबर होता है।
अर्थात अवाष्पशील मोल विलेय पदार्थ मिलाने से शुद्ध द्रव्य विलायक द्रव का वाष्प दाब कम हो जाता है जिसे क्वथनांक में उन्नयन कहा जाता है।
माना शुद्ध द्रव्य ग्राम विलायक का क्वथनांक Tb0 है तथा w1 gm विलायक की मात्रा में M2 अणु भार वाले एवं अवाष्पशील विलेय की w2 gm मात्रा मिलाई जाती है। विलयन का क्वथनांक Tb हो तो क्वथनांक में उन्नयन
प्रयोगों द्वारा देखा गया है कि क्वथनांक में यह उन्नयन विलयन की मोललता के समानुपाती होता है।
Kb की परिभाषा :- यदि विलायक की 1Kg मात्रा में अवाष्पशील विलेय का एक मोल मिला दिया जाए तो क्वथनांक में होने वाले उन्नयन को मोलल उन्नयन स्थिरांक (Kb)कहा जाता है।
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