व्युत्क्रम परासरण या जल शोधन
यदि विलयन पर परासरण दाब से अधिक दाब लगाया जाता है तो विलायक के कण विलयन से अर्ध पारगम्य झिल्ली में से होकर शुद्ध विलायक की ओर जाना शुरु कर देते हैं इस घटना को व्युत्क्रम परासरण कहा जाता है इसके आधार पर ही समुद्री जल से पीने योग्य शुद्ध जल तैयार किया जाता है।
जल का शुद्धिकरण समुद्री जल को पिस्टन युक्त पात्र में भरते हैं जिसके मध्य में ठोस आधार पर सेलुलोस एसिटेट की बनी झिल्ली लगी होती है। पिस्टन द्वारा जब समुद्री जल पर परासरण दाब से अधिक दाब लगाते हैं तो व्युत्क्रम परासरण की क्रिया द्वारा शुद्ध जल अर्धपारगम्य झिल्ली (SPM) से होकर बाहर निकल जाता है।
असामान्य मोलर द्रव्यमान एवं वांट हाफ गुणांक
असामान्य मोलर द्रव्यमान पोटेशियम क्लोराइड को किसी विलायक जल में घोलकर विलयन बनाया जाए तो जल में उसका आयनन या वियोजन हो जाता है तथा एक मोल पोटेशियम क्लोराइड कणों से विलयन के आयनों के दो मोल प्राप्त होते हैं। अब यदि अणुसंख्यक गुणधर्म के आधार पर मोलर द्रव्यमान ज्ञात किया जाए तो सामान्य से कम प्राप्त होता है। यदि एसिटिक अम्ल को बेंजीन में घोलकर विलयन बनाया जाए तो बेंजीन में एसिटिक अम्ल के दो अणु आपस में जुड़ जाते हैं इस प्रकार प्राप्त किया गया मोलर द्रव्यमान सामान्य से अधिक प्राप्त होता है।
असामान्य मोलर द्रव्यमान – विलयन में विलेय के कणों का वियोजन अथवा संगुणन (संयोजन) होने से अणुसंख्यक गुण धर्मों के आधार पर ज्ञात किए गए विलेय के मोलर द्रव्यमान सामान्य से कम या अधिक प्राप्त होते हैं इन्हें असामान्य मोलर द्रव्यमान कहा जाता है।
वांट हाफ गुणांक (i) – संगुणन या वियोजन के फलस्वरुप प्राप्त असामान्य मोलर द्रव्यमान को सही प्रकलित करने के लिए वैज्ञानिक वांटहाफ ने एक गुणांक के बारे में बताया जिसे वांट हाफ गुणांक कहते हैं।
वान्ट हॉफ गुणांक के आधार पर अणु संख्यक गुणधर्मो से मोलर द्रव्यमान ज्ञात करने के लिए सूत्रों में संशोधन किया गया।
1.वाष्प दाब में आपेक्षिक अवनमन
2.क्वथनांक में उन्नयन
3.हिमांक में अवनमन
4.विलयन का परासरण दाब
2 Comments