तृतीय परत रखना
द्वितीय परत पर तृतीय परत रखना
(HCP व FCC/CCP)
यदि द्विविमीय षट्कोणीय निबिड़ संकुलन की तीसरी परत द्वितीय परत पर रखते हैं तब
1. यदि तीसरी परत को द्वितीय परत की चतुष्फलकीय रिक्तिकाओं को ढकते हुए रखा जाए तो निर्मित जालक को षट्कोणीय निबिड़ संकुलित जालक (HCP) कहते हैं l
इस संरचना में क्रिस्टल की प्रथम पद की प्रथम पंक्ति के गोलों के गर्त में दूसरी पंक्ति के गोलों को रखा जाता है तथा तीसरी पंक्ति के गोलों को दूसरी पंक्ति के गोलों के गर्त में रखा जाता है इससे B व C प्रकार के छिद्र बनते हैं l यदि दूसरी परत के गोलों को इस प्रकार रखा जाए कि प्रथम परत के B छिद्र ढक जाए तथा C छिद्र खाली रह जाएं तीसरी परत के गोलों को इस प्रकार रखा जाए कि वे प्रथम परत के गोलों के ऊपर आए इसमें प्रथम परत के छिद्र खाली रह जाते हैं इससे ABAB…… प्रकार की संरचना प्राप्त होती है इनकी उपसहसंयोजक संख्या 12 तथा संकुलन दक्षता 74% होती है l
उदाहरण(Examples) — Mg, Zn
2. यदि दितीय परत की अष्टफलकीय रिक्तिकाओं को जब तीसरी परत द्वारा ढका जाता है तो निर्मित जालक को घनीय निबिड़ संकुलित जालक (FCC OR CCP) अथवा फलक केंद्रित घनीय सरंचना कहा जाता है l
इस प्रकार की संरचना में प्रथम परत की प्रथम पंक्ति के गोलों के गर्त में दूसरी पंक्ति के गोलों को रखा जाता है तथा दूसरी पंक्ति के गोलों के गर्त में तीसरी पंक्ति के गोलों को रखा जाता है इससे B एवं C प्रकार के छिद्र बनते हैं यदि दूसरी परत के गोलों को इस प्रकार रखा जाए कि वे प्रथम परत के B छिद्रों को ढक ले तथा C छिद्र खाली रह जाए तीसरी परत के गोलों को इस प्रकार रखा जाए की वह प्रथम परत के रिक्त C छिद्रों को ढक लें तथा चौथी परत के गोलों को ऐसे रखते हैं कि वे प्रथम परत के गोलों के ऊपर आये इससे ABCABC ………… प्रकार की संरचना बनती है इनकी उपसहसंयोजक संख्या 12 व संकुलन दक्षता 74% होती है
उदाहरण (Examples) —Cu, Fe, Ag, Ni
NOTE
1.HCP व FCC/ CCP दोनों प्रकार के जाल को में उपसहसंयोजक संख्या 12 होती है (स्वयं के 6 एवं अन्य परतो के तीन–तीन कण)
2.सरल घनीय जालक में उपसहसंयोजक संख्या 8 होती है
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