चालकताए

चालकताए

चालकताए

मोलर चालकता ,तुल्यांकी चालकता ,सीमांत मोलर चालकता

1.मोलर चालकता – किसी विद्युत अपघट्य  के एक मोल लीटर सांद्रता वाले अपघट्य की चालकता मोलर चालकता कहलाती है।

अथवा

चालकता (विशिष्ट चालकता ) एवं एक मोल विद्युत अपघट्य युक्त विलयन का आयतन (घन सेमी ) के गुणनफल को मोलर चालकता कहते है।

2.तुल्यांकी चालकता – चालकता (विशिष्ट चालकता ) एवं एक ग्राम तुल्यांक विद्युत अपघट्य युक्त विलयन का आयतन (घन सेमी ) के गुणनफल को तुल्यांकी चालकता कहते है।

सांद्रता (c) के साथ चालकता (κ) एवं मोलर चालकता (ʎm) में परिवर्तन

प्रबल एवं दुर्बल दोनों प्रकार के विद्युत अपघट्य के लिए सांद्रता कम करने पर चालकता कम हो जाती है क्योंकि इकाई आयतन में विद्युत धारा से जाने वाले आयनो की संख्या कम हो जाती है ।

विलेय की निश्चित मात्रा वाले विद्युत अपघट्य के विलयन में और अधिक विलायक मिलाने पर अथवा उसकी सांद्रता कम करने पर मोलर चालकता बढ़ती है । विद्युत अपघट्य के विलयन को तनु करने पर (सांद्रता कम करने पर )चालकता कम होती है लेकिन जितनी चालकता में कमी आती है उतना ही मोलर चालकता का मान बढ़ जाता है ।

3.सीमांत मोलर चालकता – जब किसी विद्युत अपघट्य की सांद्रता लगभग शून्य कर दी जाती है उस समय इसकी मोलर चालकता अधिकतम होती है इसे सीमांत मोलर चालकता कहते है। मोलर चालकता सांद्रता के साथ प्रबल और दुर्बल विद्युत अपघट्यों के लिए अलग-अलग प्रकार से परिवर्तित होती है।

प्रबल विद्युत अपघट्यों के लिए मोलर चालकता सांद्रता के साथ नियमित रूप से परिवर्तित होती है।

नियतांक A का मान विलायक की दी गई मात्रा तथा निश्चित ताप पर अपघट्य द्वारा प्रदान किये गए आयनो पर उपस्थित आवेश के मान पर निर्भर करता है । इस आधार पर NaCl , MgCl2 ,AlCl3 को क्रमशः 1:1 , 2:1 व 3:1 प्रकार के विद्युत अपघट्य कहते है।

चालकताए


https://hi.wikipedia.org

Related Articles

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

18 − 9 =