एंजाइम उत्प्रेरण
ये उच्च अणुभार वाले प्रोटीन के अणु होते हैं ये जीव जंतुओं के शरीर में बनते हैं तथा जल में घुल कर कोलाइडी विलयन बनाते हैं ये जीवो के शरीर में होने वाली जैव रासायनिक अभिक्रियाओं को उत्प्रेरित करते हैं अतः इन्हें जैव रासायनिक उत्प्रेरक भी कहा जाता है।
एंजाइम उत्प्रेरण के अभिलक्षण
1.उच्चतम सक्रियता – एंजाइम अत्यधिक सक्रिय होते हैं एंजाइम का एक अणु अभिकारकों के दस लाख अणुओं को उत्प्रेरित कर सकता है।
2.इष्टतम ताप – अधिकांश एंजाइम 25 डिग्री सेंटीग्रेड से 35 डिग्री सेंटीग्रेड ताप परास के मध्य ही अधिकतम क्रियाशीलता दर्शाते हैं।
3.इष्टतम pH – अधिकांश एंजाइम 5 से 7 pH परास के मध्य ही अधिकतम सक्रियता दर्शाते हैं।
4.उच्चतम विशिष्ट प्रकृति – विशेष जैव रासायनिक अभिक्रियाओं के लिए विशेष एंजाइम होते हैं अर्थात एक एंजाइम एक विशेष अभिक्रिया को ही उत्प्रेरित कर सकता है।
5.सक्रिय एवं सह एंजाइमों की उपस्थिति में सक्रियता – इसकी उपस्थिति में एंजाइमों की क्रियाशीलता बढ़ जाती है यह सक्रियक सामान्यतः धातु आयन जैसे Zn+2,Cu+2,Na+,Mg+2 आदि होते हैं तथा सहएंजाइम विटामिन होते हैं।
एंजाइम उत्प्रेरण की क्रियाविधि
एंजाइम की सतह पर विशेष आकार के (कोटर) क्रियास्थल होते हैं जो विशेष आकार की संरचना वाले अभिकारकों के अणुओं में ताले में चाबी के समान फिट हो जाते हैं जिससे एंजाइम व क्रियाधार का समिश्र बनता है जो बाद में एंजाइम और उत्पाद में टूट जाता है।
कोलाइड अवस्था
यह पदार्थों का एक विषमांगी मिश्रण है जिसमें एक पदार्थ के कण दूसरे पदार्थ में परिक्षेपित रहते हैं जिस पदार्थ के कण परिक्षेपित रहते हैं उसे परिक्षिप्त प्रावस्था तथा यह जिस माध्यम में परिक्षेपित रहते हैं उसे परिक्षेपण माध्यम कहते हैं।
विलयन = विलेय + विलायक
कोलाइड = परिक्षिप्त प्रावस्था + परिक्षेपण माध्यम
कोलाइडी कणों का आकार एक 1nm (नैनोमीटर) से 1000 nm (नैनोमीटर) (10-9 से 10-6 m) के बीच होता है।
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