कोलाइडी विलयनों के गुण
कोलाइडी विलयनों के गुण
- कोलाइडो के अणुसंख्य गुणधर्म
कोलाइडी विलयन में कोलाइडी कणों की संख्या वास्तविक विलयन की तुलना में कम होती है वाष्प दाब में आपेक्षिक अवनमन, क्वथनांक में उन्नयन, परासरण एवं परासरण दाब आदि विलयनों की अपेक्षा कम प्राप्त होते हैं क्योंकि इनमें कणों की संख्या विलयन से कम होती है।
- टिंडल प्रभाव
कोलाइडी विलयन को कांच की बोतल या पात्र में भरकर अंधेरे कमरे में रखते हैं तथा इस पर किसी एक दिशा से प्रकाश डालते हैं तो प्रकाश के संचरण की दिशा से देखने पर कोलाइडी विलयन के कण साफ दिखाई देते हैं कोलाइडी कणों के द्वारा प्रकाश का प्रकीर्णन कर देने से हमें प्रकाश का पथ साफ दिखाई देता है यह प्रभाव टिंडल प्रभाव कहलाता है।
टिंडल प्रभाव का कारण :- कोलाइडी कण प्रकाश का सभी दिशाओं में प्रकीर्णन कर देते हैं इस कारण टिंडल प्रभाव दिखाई देता है।
उदाहरण –
- किसी अंधेरे कमरे में खिड़की से आने वाले सूर्य के प्रकाश का पथ दिखाई देना कोलाइडी कणों के कारण
- सिनेमाघरों में प्रोजेक्टर के द्वारा जब स्क्रीन पर प्रकाश डाला जाता है तो कोलाइडी कणों की उपस्थिति के कारण हमें प्रकाश का पथ साफ दिखाई देता है।
- कोलाइडी विलयन का रंग – रंग निम्न चार बातों पर निर्भर करता है।
- प्रयुक्त प्रकाश की तरंग धैर्य पर
- कोलाइडी कणों के आकार पर
- कोलाइडी कणों की प्रकृति पर
- प्रेक्षक द्वारा देखने की स्थिति पर
उदाहरण – दूध तथा पानी के कोलाइडी विलयन को संचरित प्रकाश की दिशा से देखने पर लाल तथा लंबवत दिशा से देखने पर नीला दिखाई देता है ।
- ब्राउनी गति – कोलाइडी विलयन को अति सूक्ष्मदर्शी से देखने पर इसमें उपस्थित कोलाइडी कण अनियमित दिशाओं में इधर उधर गति करते हुए दिखाई देते हैं इस गति को ब्राउनी गति कहते हैं ।
कारण :- परिक्षिप्त प्रावस्था तथा परिक्षेपण माध्यम के कणों के बीच टक्करें होती रहती है जिनकी वजह से ब्राउनी गति होती है।
- कोलाइडी कणों पर आवेश – सभी कोलाइडी कणों पर समान आवेश होता है कोलाइडी कणों पर आवेश इसको बनाने वाली विधियों पर निर्भर करता है।
उदाहरण :- सिल्वर नाइट्रेट की कम मात्रा में पोटेशियम आयोडाइड की अधिक मात्रा मिलाकर सिल्वर आयोडाइड के कणों का सॉल तैयार करते हैं तो सिल्वर आयोडाइड का प्रत्येक कोलाइडी कण अपनी सतह पर आयोडाइड आयनो का अधिशोषण कर लेता है इस प्रकार ऋणात्मक आवेशित सॉल तैयार होता है जिसे निम्न प्रकार प्रदर्शित करते हैं।
AgI / I–
यदि पोटेशियम आयोडाइड की कम मात्रा को सिल्वर नाइट्रेट की अधिक मात्रा में मिलाया जाए तो अवक्षेपित सिल्वर आयोडाइड के कोलाइडी कण अपनी सतह पर सिल्वर Ag+ आयनो का अधिशोषण कर लेते हैं और इस प्रकार धनात्मक आवेशित सॉल तैयार होता है जिसे निम्न प्रकार प्रदर्शित करते हैं।
AgI / Ag+
धनात्मक आवेशित | ऋणात्मक आवेशित |
जलयोजित धातु ऑक्साइड
Al2O3.xH2O , Fe2O3.xH2O |
धात्विक सॉल
EX. Ag, Au, Pt सॉल |
हीमोग्लोबिन का सॉल | As2S3, Sb2S3 के सॉल |
क्षारीय रंजक , मेथिलीन ब्ल्यू | अम्लीय रंजक – इओसिन, कांगो रेड |
TiO2 सॉल | धात्विक सल्फाइड |
कोलाइडी कणों पर समान प्रकार का आवेश होता है कण के चारों ओर आवेश की एक परत बनी होती है जो धनात्मक आवेशित अथवा ऋणात्मक आवेशित हो सकती है आवेशों की यह परत स्थिर रहती है इसलिए इसे स्थिर कहते हैं इस परत के चारों ओर कोलाइडी विलयन में उपस्थिति विपरीत आवेशों की एक और परत बन जाती है इस परत के आवेश गति कर सकते हैं और इसलिए इसे गतिक परत (विसरित परत) कहते हैं ।
“कोलाइडी कणों के चारों ओर आवेशों की परतों को हेल्म होल्ट्ज़ विद्युत दोहरी परत कहा जाता है”
“स्थिर परत और विसरित परत के बीच विभवांतर को विद्युत गतिक विभव अथवा जीटा विभव कहते हैं”
1 Comment