क्रिस्टलीय एवं अक्रिस्टलीय ठोस एवं उनमें अंतर

क्रिस्टलीय ठोस और अक्रिस्टलीय ठोस के गुणों में अंतर

क्रिस्टलीय ठोस और अक्रिस्टलीय ठोस के गुणों में अंतर

क्रिस्टलीय ठोस अक्रिस्टलीय ठोस
इनकी ज्यामिति निश्चित इनकी  ज्यामिति अनिश्चित
निश्चित ताप पर पिघलते हैं अतः शीतलन वक्र असतत होता है l ताप के एक परास में धीरे-धीरे नरम पड़ते हैं l अर्थात गलनांक निश्चित नहीं इस कारण शीतलन वक्र सतत होता है l
यह वास्तविक ठोस होते हैं l यह अवास्तविक ठोस होते हैं अर्थात अतिशीतित द्रव है, क्योंकि इनके अवयवी कण द्रव की तरह अनियमित होते हैं l
इनमें अवयवी कणों की दीर्घ परासिय व्यवस्था होती है l इनमें अवयवी कणों की  लघु परासिय व्यवस्था होती है l
विदलन गुण

तेज धार वाले औजार से काटने पर यह दो टुकड़ों में विभाजित हो जाते हैं,उत्पन्न सतह सपाट एवं चिकनी होती है l

विदलन गुण

तेज धार वाले औजार से काटने पर यह दो टुकड़ों में विभाजित हो जाते हैं, उत्पन्न सतह अनियमित व तीखे किनारों वाली होती है l

इनकी गलन ऊष्मा निश्चित इनकी गलन ऊष्मा अनिश्चित
विषमदैशिक प्रकृति के होते हैं l

यह समदैशिक प्रकृति के होते है l
 

उदाहरण

NaCl ,KCl ,Fe ,Cu ,Ag ,S8 ,P4 ,I2 ,क़्वार्टज़ , ZnS

 

उदाहरण

काँच ,रबर ,प्लास्टिक

6 thoughts on “क्रिस्टलीय एवं अक्रिस्टलीय ठोस एवं उनमें अंतर”

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