परासरण एवं परासरण दाब

परासरण एवं परासरण दाब

परासरण एवं परासरण दाब

  1. किशमिश को पानी में रखने पर फूल जाती है।
  2. अंगूर तथा RBC को शर्करा के घोल में रखने पर पिचक जाती है।
  3. मुरझाए फूलों पर तथा गाजर को पानी में रखने पर ताजा हो जाते हैं।

परासरण अर्धपारगम्य झिल्लियों का गुण है अर्धपारगम्य झिल्ली वह झिल्ली है जिसमें से होकर विलायक के कण तो गति कर सकते हैं लेकिन जिसके आर-पार विलेय के कण नहीं जा सकते हैं। चित्रानुसार – यदि एक कीप में शर्करा का विलयन भरकर इसके मुख को अर्धपारगम्य झिल्ली से बंद करके शुद्ध विलायक में उल्टा रख दिया जाये तो शुद्ध विलायक से होकर कीप में प्रवेश करता है और शर्करा के विलयन के स्तम्भ की ऊंचाई बढ़ती है।osmosis and osmotic pressure 1.प्राकृतिक                                                                                    2.संश्लेषित /कृत्रिम

1.बकरे का मूत्राशय                                                                        1. सेलोफेन झिल्ली

2.कोशिका झिल्ली                                                                          2.सेलुलोस एसिटेट

परासरण  – शुद्ध विलायक का अपनी अधिक सांद्रता से अर्धपारगम्य झिल्ली (SPM) में से होकर अपनी कम सांद्रता की और गमन करना परासरण कहलाता है।                                                                                          अथवा

परासरण – विलायक के अणुओ का कम सांद्र विलयन से अर्धपारगम्य झिल्ली (SPM) से होकर सांद्र विलयन की और जाना परासरण कहलाता है।परासरण दाब — विलयन पर लगाया गया वह अतिरिक्त दाब जो शुद्ध विलायक के अर्धपारगम्य झिल्ली (SPM)  से होकर विलयन में प्रवेश को रोक दे परासरण दाब कहलाता है।osmosis and osmotic pressureतनु विलयनों के लिए वान्ट हॉफ समीकरण – वान्ट हॉफ नामक वैज्ञानिक ने तनु विलयनों के लिए एक समीकरण दी जिसे वान्ट हॉफ समीकरण कहते है।osmosis and osmotic pressureNOTE – अधिक अणुभार वाले बड़े विलेय के कणों का मोलर द्रव्यमान परासरण दाब के आधार पर ज्ञात किये जाते है क्योंकि परासरण दाब में प्रयुक्त मोलरता तापमान पर ही निर्भर करती है अतः कमरे के ताप पर ज्ञात किये गए मोलर द्रव्यमान सही सही आते है। यदि अन्य अणुसंख्यक गुणधर्मो के आधार के आधार पर ही बड़े अणुओ का मोलर द्रव्यमान ज्ञात करे तो सही सही ज्ञात नहीं होगा क्योंकि उनमें मोलरता प्रयुक्त की गई है जो ताप पर निर्भर करती है और बड़े अणु कमरे के ताप पर छोटे अणुओं में टूट जाते है इसलिए उनके मोलर द्रव्यमान सही ज्ञात नहीं होते है उपरोक्त सभी विधियों से मोलर द्रव्यमान तब ज्ञात किया जाता है जब तनु विलयन प्रयुक्त किया जाये।

परासरण एवं परासरण दाब

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2 Comments

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  • 0 / 10
  • Jitin Kumar , 29/12/2021 @ 1:11 पूर्वाह्न

    Great Work

  • Rakesh verma , 14/03/2022 @ 12:15 अपराह्न

    Very good

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