d ब्लॉक सामान्य गुण
आधुनिक आवर्त सारणी में 3-12 वर्ग के तत्वों को d-ब्लॉक के तत्व कहते हैं क्योंकि इनका अंतिम इलेक्ट्रॉन d उपकोश में जाता है इनको संक्रमण तत्व भी कहते हैं क्योंकि s व p ब्लॉक के तत्वों के मध्य स्थित है संक्रमण तत्वों की चार श्रेणियां होती हैं ।
1.प्रथम श्रेणी Sc (21) – Zn (30)
2.द्वितीय श्रेणी Y (39) – Cd (48)
3.तृतीय श्रेणी La (57) Hf (72)– Hg (80)
4.चतुर्थ श्रेणी Ac (89) Rf (104) – Cn (112)
- d-ब्लॉक के तत्व के बाहरी कोश का सामान इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (n-1)d1-10 ns1-2 प्रकार का होता है ।
- d-ब्लॉक के तत्वों को संक्रमण तत्व भी कहते हैं ।
- संक्रमण तत्व वे तत्व होते हैं जिनकी परमाणु अवस्था में या सामान्य ऑक्सीकरण अवस्था में d उपकोश अपूर्ण हो ।
- 3-10 वे वर्ग के तत्वों में परमाणु अवस्था में d उपकोश अपूर्ण होता है ।
- 12-वे वर्ग के तत्वों को संक्रमण तत्व नहीं कहते हैं क्योंकि इनकी परमाणु अवस्था में तथा सामान्य ऑक्सीकरण अवस्था में (n-1)d उपकोश पूर्ण भरा होता है ।
- 11-वे वर्ग के तत्वों को प्रारूपी संक्रमण तत्व कहते हैं क्योंकि इनकी परमाणु अवस्था में (n-1)d उपकोश पूर्ण भरा होता है परंतु इसकी सामान्य ऑक्सीकरण अवस्था में (n-1)d उपकोश अपूर्ण होता है ।
- 11-वे वर्ग के तत्वों को मुद्रा या सिक्का धातुएं भी कहते हैं ।
नोट – परमाणु क्रमांक (58-71) वाले तत्वों को लैंथेनाइड तत्व कहते हैं तथा परमाणु क्रमांक (90-103) तक के तत्वों को एक्टिनाइड तत्व कहते हैं इनको आवर्त सारणी के नीचे दो श्रेणियों में रखा गया है इनको f-ब्लॉक के तत्व कहते हैं तथा इनको आंतरिक संक्रमण तत्व भी कहा जाता है ।
d-ब्लॉक के तत्वों के सामान्य गुण
- इलेक्ट्रॉनिक विन्यास
d – ब्लॉक के तत्वों का बाहरी कोश का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (n-1) d1-10 ns1-2 प्रकार का होता है अर्थात इनके दो बाहरी कोष अपूर्ण होते हैं ।
अपवाद – d – ब्लॉक के तत्वों (कुछ) में इलेक्ट्रॉनिक विन्यास असफल हो जाता है अर्थात ऑफबो सिद्धांत से विचलन हो जाता है क्योंकि कुछ तत्व (n-1) d उपकोश को अर्द्ध भरा या पूर्ण भरा करने के लिए (स्थाई) इलेक्ट्रॉनिक विन्यास प्राप्त करने के लिए ns उपकोश से 1 या 2 इलेक्ट्रोन ग्रहण कर लेते है।
परमाणु क्रमांक | तत्त्व | इलेक्ट्रॉनिक विन्यास |
24 | Cr | 3d5,4s1 |
29 | Cu | 3d10,4s1 |
42 | Mo | 4d5,5s1 |
46 | Pd | 4d10,5s0 |
47 | Ag | 4d10,5s1 |
78 | Pt | 5d9,6s1 |
79 | Au | 5d10,6s1 |
अन्य अपवाद –
La(57) – 1s2, 2s2 , 2p6 , 3s2, 3p6 , 4s2, 3d10, 4p6 , 5s2, 4d10 , 5p6, 6s2 , 4f0 , 5d1
इसमें इलेक्ट्रोन 6s2 के बाद 4f में न जाकर 5d उपकोश में जाता है क्योंकि 4f व 5d उपकोश की उर्जाओं का अंतर बहुत कम होता है । इसी प्रकार Ac(89) में 7s2 के बाद इलेक्ट्रोन 5f में न जाकर 6d में चला जाता है ।
Ac(89) – 1s2, 2s2 , 2p6 , 3s2, 3p6 , 4s2, 3d10, 4p6 , 5s2, 4d10 , 5p6, 6s2 , 4f14 , 5d10 , 6p6 ,7s2 , 6d1, 5f0
- परमाणु त्रिज्या या आकार
सामान्यतःआवर्तो में बाएँ से दाएँ चलने पर आकार में कमी आती है परन्तु d ब्लाक के तत्वों में बाएँ से दाएँ चलने पर आकार लगभग समान रहता है क्योंकि परमाणु क्रमांक में वृद्धि होने से एक इलेक्ट्रोन जुड़ता है इससे प्रभावी नाभिकीय आवेश में लगभग 0.65 की वृद्धि होती है इससे नाभिक का ns उपकोश के इलेक्ट्रोन पर आकर्षण बढ़ जाता है परन्तु नया जुड़ने वाला इलेक्ट्रोन (n-1)d उपकोश में जाता है जो ns के इलेक्ट्रोन को प्रतिकर्षित करता है अर्थात (n-1)d उपकोश नाभिक व ns के इलेक्ट्रोन के आकर्षण के मध्य प्रतिकर्षण का कार्य करता है इसलिए परमाणु का आकार लगभग समान रहता है ।
- Sc से Mn तक अयुग्मित इलेक्ट्रोन की संख्या अधिक हेने से नाभिकीय आकर्षण बल परिरक्षण प्रभाव से अधिक हो जाता है इसलिए इनका आकार धीरे धीरे घटता जाता है ।
- Fe, Co , Ni (8,9,10 वे वर्ग) में नाभिकीय आकर्षण बल एवं परिरक्षण प्रभाव समान होते है इस कारण आकार लगभग समान रहता है ।
- Cu व Zn में युग्मित इलेक्ट्रोन की संख्या अधिक हो जाने से नाभिकीय आकर्षण बल परिरक्षण प्रभाव से कम हो जाता है इसलिए इनका आकार बढ़ जाता है ।
- 3d श्रेणी की तुलना में 4d श्रेणी का परमाण्वीय आकार बड़ा होता है जबकि 4d श्रेणी की तुलना में 5d श्रेणी का परमाण्वीय आकार लगभग समान होता है क्योंकि 5d श्रेणी से पहले लैंथेनाइड तत्त्व आ जाते है । इसमें 4f के इलेक्ट्रोन ns के इलेक्ट्रोन कों प्रतिकर्षित नही करते है इसलिए नाभिक का इलेक्ट्रोन पर आकर्षण बढ़ जाता है इससे 5d श्रेणी के आकार में कमी हो जाती है इसलिए 4d व 5d श्रेणी का आकार लगभग समान होता है परन्तु Y की तुलना में La का आकार बड़ा होता है क्योंकि La से पहले लैंथेनाइड श्रेणी नही होती है ।
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