आयनन एंथेल्पी ऑक्सीकरण अवस्था
3. आयनन एंथेल्पी (ऊर्जा) या विभव
d – ब्लॉक के तत्वों के आयनन विभव का मान s –ब्लॉक के तत्वों के आयनन विभव से अधिक तथा p – ब्लॉक के तत्वों से कम होता है d – ब्लॉक के तत्वों में बाएँ से दाएँ चलने पर आयनन विभव के मान धीरे धीरे बढते है परन्तु दो क्रमागत तत्वों के आयनन विभव में अंतर बहुत कम होता है ।
- Zn , Cd व Hg का प्रथम आयनन विभव का मान उच्च होता है क्योंकि इलेक्ट्रोनिक विन्यास पूर्ण भरा होता है । [(n-1) d1-10 ns1-2]
- Cu व Cr में द्वितीय आयनन विभव का मान अपेक्षाकृत उच्च होता है क्योंकि Cu में द्वितीय इलेक्ट्रोन स्थाई इलेक्ट्रोनिक विन्यास (3d10) से निकलता है तथा Cr में 3d5 से निकलता है ।
- 3d श्रेणी से 4d श्रेणी में आने पर आयनन विभव के मानों में अनियमितताएं पाई जाती है परन्तु 4d से 5d में आने पर आयनन उर्जाओं के मान बढते है क्योंकि 5d श्रेणी से पूर्व लैंथेनाइड तत्त्व आ जाते है इससे नाभिक का इलेक्ट्रोन पर आकर्षण बढ़ जाता है ।
- प्रथम आयनन विभव द्वितीय आयनन विभव तृतीय आयनन विभव के मानों का क्रम
तृतीय आयनन विभव > द्वितीय आयनन विभव > प्रथम आयनन विभव
4. ऑक्सीकरण अवस्था
d – ब्लॉक के तत्वों के बाहरी कोश में एक या दो इलेक्ट्रोन पाए जाते है परन्तु ये एक से अधिक ऑक्सीकरण अवस्थाएं प्रदर्शित करते है अर्थात परिवर्तनशील ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करते है क्योंकि ns के इलेक्ट्रोन के अतिरिक्त (n-1)d उपकोश के इलेक्ट्रोन भी रासायनिक बंध बनाने में भाग लेते है । d – ब्लॉक के तत्व सामान्यतः x+2 के बराबर ऑक्सीकरण अवस्थाएं प्रदर्शित करते है यहाँ x = d उपकोश के अयुग्मित इलेक्ट्रोन की संख्या
प्रथम संक्रमण श्रेणी के तत्वों की ऑक्सीकरण अवस्थाएं निम्न है ।
Sc | Ti | V | Cr | Mn | Fe | Co | Ni | Cu | Zn |
+1 | +1 | ||||||||
+2 | +2 | +2 | +2 | +2 | +2 | +2 | +2 | +2 | |
+3 | +3 | +3 | +3 | +3 | +3 | +3 | +3 | ||
+4 | +4 | +4 | +4 | +4 | +4 | +4 | |||
+5 | +5 | +5 | +5 | ||||||
+6 | +6 | ||||||||
+7 |
- वह ऑक्सीकरण अवस्था अधिक स्थाई होती है जिसमें d0 ,d5 ,d10 हो
- सभी तत्वों की सामान्य ऑक्सीकरण अवस्था +2 होती है परन्तु Sc तत्त्व +3 ऑक्सीकरण अवस्था ही प्रदर्शित करता है ।
- Cr व Cu +1 ऑक्सीकरण अवस्था भी प्रदर्शित करते है ।
- Cr व Mn में अयुग्मित इलेक्ट्रोनों की संख्या अधिक होने से इनकी ऑक्सीकरण अवस्थाएं अधिक होती है ।
- यदि किसी ऑक्सीकरण अवस्था में या परमाण्वीय अवस्था में अयुग्मित इलेक्ट्रोन हो तो वह रंगीन,अनुचुम्बकीय व अस्थाई होते है ।
- यदि सभी कक्षक पूर्ण भरे हो तो रंगहीन व प्रतिचुम्बकीय होते है ।
- संक्रमण तत्त्व निम्न ऑक्सीकरण अवस्था (+1,+2,+3) में आयनिक बंध बनाते है तथा उच्च ऑक्सीकरण अवस्था (+4,+5,+6,+7) में सहसंयोजक बंध बनाते है।
- निम्न ऑक्सीकरण अवस्था (+1,+2,+3) में तत्वों के ऑक्साइड क्षारीय प्रकृति के होते है – जैसे – CrO ,Cu2O , CuO ,ZnO
- मध्यवर्ती ऑक्सीकरण अवस्था (+4 , +5) उभयधर्मी प्रकृति – जैसे – Cr2O3 ,Mn2O3 ,MnO2
- उच्चतर ऑक्सीकरण अवस्था में अम्लीय – जैसे – MnO3 ,CrO3
- कुछ संक्रमण तत्त्व शून्य ऑक्सीकरण अवस्था भी प्रदर्शित करते है ।
[Ni(CO)4] , [Fe(CO)5] , [Cr(CO)6]
- उच्च ऑक्सीकरण अवस्था में तत्वों के यौगिक प्रबल ऑक्सीकारक तथा निम्न ऑक्सीकरण अवस्था में अपचायक होता है ।
5.मानक इलेक्ट्रोड विभव
- M+2/M मानक इलेक्ट्रोड विभव की प्रवृतिया
3d संक्रमण श्रेणी के M+2 से M में अपचयन के मानक इलेक्ट्रोड विभव E0 के मान निम्न होते है ।
Sc | Ti | V | Cr | Mn | Fe | Co | Ni | Cu | Zn |
– | -1.63 | -1.18 | -0.90 | -1.18 | -0.44 | -0.28 | -0.25 | +0.34 | -0.76 |
✍ विलयन में इनकी ऑक्सीकरण अवस्था स्थाई होती है ।
✍ 3d श्रेणी के अपचयन विभव का मान –ve होते है तथा आवर्त सारणी में बाएँ से दाएँ चलने पर –ve के मान कम होते है अतः क्रियाशीलता घटती है ।
✍ अपवाद- Cu का मानक अपचयन विभव का मान +ve होता है ।
✍ Cu को छोड़कर इस श्रेणी के सभी तत्त्व तनु अम्लों से क्रिया करके H2 मुक्त करते है ।
M(s) + 2H+ → M++(aq) + H2
✍ Cu का E0 का मान +ve होने से यह तनु अम्लों से क्रिया करके या अम्लों से क्रिया करके हाइड्रोजन मुक्त नहीं करता केवल ऑक्सीकारक अम्ल जैसे नाइट्रिक अम्ल तथा गर्म एवं सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल ही Cu से अभिक्रिया करके स्वयं अपचयित हो जाते हैं ।
✍ Cu के E0 का मान +ve होने का कारण यह है कि Cu के Cu++ मे परिवर्तन करने के लिए आवश्यक ऊर्जा इसकी जलयोजन ऊर्जा से संतुलित नहीं हो पाती है संक्रमण धातुओं की क्रिया सांद्र अम्लों से कराने पर क्रियाशीलता घट जाती है क्योंकि धातु की सतह पर ऑक्साइड की पतली परत रक्षात्मक बन जाती है ।
✍ M3+/ M2+ मानक इलेक्ट्रोड विभव में प्रवृतियां
✍ 3d श्रेणी के M3+ से M2+ अपचयन के के मान निम्न प्रकार होते हैं ।
Sc | Ti | V | Cr | Mn | Fe | Co | Ni | Cu | Zn |
– | -0.37 | -0.26 | -0.41 | +1.57 | +0.77 | +1.97 | – | – | – |
- Sc मे Sc3+→Sc2+ मे अपचयन की संभावना नहीं है क्योंकि Sc3+का स्थाई इलेक्ट्रॉनिक विन्यास d0 है ।
- Zn मे Zn2+→ Zn3+ ऑक्सीकरण की संभावना नहीं है क्योंकि Zn2+ का स्थाई इलेक्ट्रॉनिक विन्यास d10 है ।
- Mn के लिए E0 का उच्च मान Mn2+ (d5) के स्थायित्व को प्रदर्शित करता है ।
- Fe के लिए E0 का मान निम्न होता है क्योंकि Fe3+ का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास स्थाई (d5) होता है ।
- V के लिए E0 का मान V2+ के स्थाईत्व को प्रदर्शित करता है ।
आयनन एंथेल्पी ऑक्सीकरण अवस्था
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