
उपसहसंयोजक यौगिकों में समावयवता समावयवता – ऐसे यौगिक जिनके अणुसुत्र समान हो लेकिन भौतिक एवं रासायनिक गुणों में भिन्नता हो उन्हें समावयवी यौगिक तथा इस गुण को समावयवता कहते है। सरंचनात्मक समावयवता आयनन समावयवता – इस प्रकार की समावयवता में Read More …
educationalert
उपसहसंयोजक यौगिकों में समावयवता समावयवता – ऐसे यौगिक जिनके अणुसुत्र समान हो लेकिन भौतिक एवं रासायनिक गुणों में भिन्नता हो उन्हें समावयवी यौगिक तथा इस गुण को समावयवता कहते है। सरंचनात्मक समावयवता आयनन समावयवता – इस प्रकार की समावयवता में Read More …
उपसहसंयोजक यौगिक IUPAC नामकरण नियम – 1 किसी संकुल यौगिक के वर्गाकार कोष्ठक के बाएँ भाग में उपस्थित आयनन क्षेत्र के आयन का सामान्य नाम लिखा जाता है तथा संख्या में 2,3,4, होने पर डाई ,ट्राई , टेट्रा शब्दों का Read More …
आवेशित लिगेंड का वर्गीकरण ऋणायनिक लिगेंड – – ऋणायनिक लिगेंडो के अंत में आईट, ऐट,व ई आदि शब्द आते है तो उन्हें हटाकर नाम के अंत में (IDO) इडो अर्थात ‘O’ लगाते है। क्र.स. लिगेंड आवेश सामान्य नाम IUPAC नाम Read More …
लिगेंड का वर्गीकरण एकांकी इलेक्ट्रॉन युग्म त्यागने के आधार पर 1.एकदंतुक लिगेंड – वे लिगेंड जो केवल एक एकांकी इलेक्ट्रॉन युग्म प्रदान करते है एकदंतुक लिगेंड कहलाते है। NH3 , H2O ,NO ,CO ,NO+ ,C5H5N ,CN– ,Cl– , SO42- , Read More …
उपसहसंयोजक यौगिक महत्वपूर्ण बिंदु 1.लिगेंड उदासीन परमाणु या आयन (धनायन या ऋणायन) जो केन्द्रीय धातु परमाणु को एकांकी इलेक्ट्रोन युग्म प्रदान करते है लिगेंड कहलाते है सभी लिगेंड लुईस क्षार होते है। 2.समन्वय संख्या या उपसहसंयोजन संख्या केन्द्रीय धातु परमाणु Read More …
वर्नर सिद्धांत संकुल सरंचना प्राथमिक संयोजकताओ को बिंदुदार रेखाओं से प्रदर्शित करते हैं। (——————) द्वितीयक संयोजकताओ को ठोस रेखाओं से प्रदर्शित करते हैं। (──────) CoCl3 +NH3 का विलयन 1.[Co(NH3)6]Cl3 Read More …
उपसहसंयोजक यौगिक वर्नर सिद्धांत संकुल यौगिकों का अध्ययन सर्वप्रथम अल्फ्रेंड वर्नर (1866-1919) ने CoCl3 तथा NH3 की क्रिया द्वारा विभिन्न यौगिक प्राप्त किए गए। यौगिक रंग CoCl3.6NH3 नारंगी पीला CoCl3.5NH3.H2O गुलाबी CoCl3.5NH3 बैंगनी नील लोहित CoCl3.4NH3 बैंगनी CoCl3.3NH3 हरा Read More …
लवण एवं उनके प्रकार वे यौगिक जिनमें केंद्रीय धातु प्रमाण या आयन या उदासीन अणुओ के साथ उपसहसंयोजक बंध द्वारा बंधित होते हैं उपसहसंयोजक यौगिक कहलाते हैं। अकार्बनिक लवणों को मुख्यतः तीन श्रेणियों में विभक्त किया गया है। साधारण लवण Read More …
उपसहसंयोजक या संकुल यौगिक साधारण लवण, द्विक लवण ,संकुल यौगिक संकुल यौगिकों का वर्नर सिद्धांत वर्नर सिद्धांत के अनुसार संकुल यौगिकों की सरंचना संकुल यौगिकों से सम्बंधित महत्वपूर्ण बिंदु लिगेंड का वर्गीकरण आवेश के आधार पर लिगेंड का वर्गीकरण संकुल Read More …
धातुओं का शुद्धिकरण (A)आसवन – ऐसी धातु जो जल्दी ही वाष्प आस्था में आ जाते हैं Ex. Zn, Hg उन्हें उच्च तापमान पर गर्म करके वाष्प अवस्था में बदल लेते हैं इस वाष्प को संघनित करके शुद्ध धातु प्राप्त कर Read More …
धातुकर्म का विद्युतरासायनिक सिद्धांत (ऑक्सीकरण अपचयन अभिक्रिया) ΔGϴ = -nfEϴ अधिक क्रियाशील धातुओं का मानक इलेक्ट्रोड विभव ऋणात्मक होता है। अतः उनके लिए ΔG धनात्मक आएगा तथा उनका अपचयन आसान नहीं होगा दो अलग-अलग धातुओं के लवणों में उनके इलेक्ट्रोड Read More …
कॉपर जिंक का निष्कर्षण कॉपर पाईराइटिंज से कॉपर धात प्राप्त करना 1.सांद्रण – झाग प्लवन विधि से करते हैं । 2.भर्जन – सांद्रित अयस्क को परावर्तनी भट्टी में डालकर वायु की उपस्थिति में गलनांक से कम तापमान पर गर्म किया Read More …
आलिंघम आरेख के अनुप्रयोग आयरन ऑक्साइड से लोहा प्राप्त करना सामान्यतः हेमेटाइट(Fe2O3) से लोहा प्राप्त किया जाता है इसके लिए हेमेटाइट को कोक तथा चूने के साथ मिलाकर भट्टी में डाला जाता है भट्टी स्टील की बनी होती है इसके Read More …
धातुकर्म का उष्मागतिकी सिद्धांत(आलिंघम आरेख) उष्मागतिकिय रूप में किसी प्रक्रम के लिये ΔG = ΔH –TΔS धातु ऑक्साइड के अपचयन में ऑक्सीजन धातु से मुक्त होती है इसलिए प्रक्रम की एंट्रोपी हमेशा बढती है। उपरोक्त समीकरण के अनुसार ΔS धनात्मक Read More …
अयस्क से धातु ऑक्साइड प्राप्त करना इसकी निम्न दो विधियां है । (A) निस्तापन इस विधि में सांद्रित अयस्क को वायु की अनुपस्थिति में गलनांक से कम तापमान पर परावर्तनी भट्टी में गर्म करते हैं इस विधि में सामान्यतः जलयोजित Read More …
अयस्कों से शुद्ध धातु प्राप्त करना 1.अयस्कों का सांद्रण अथवा सज्जीकरण चूर्णित अयस्क में रेत, क्ले, कंकड़, पत्थर आदि की अशुद्धियां होती है जिन्हें आधात्री, गैग या मैट्रिक्स कहते हैं । अयस्क से इन्हें अलग करने की विधि को अयस्क Read More …
धातुओं के अयस्क तत्वों के निष्कर्षण के सिद्धांत एवं प्रक्रम धातुकर्म के लिए प्रवाह आरेख अयस्क 1.द्रवीय चालित धावन 2.चुम्बकीय पृथक्करण 3.झाग प्लवन विधि 4.निक्षालन सांद्रित अयस्क 1.भर्जन 2.निस्तापन अपचयन प्रक्रम 1.विद्युत अपघटन 2.स्वतः अपचयन 3.रासायनिक अपचयन 4.विस्थापन अपचयन परिष्करण Read More …
तत्वों के निष्कर्षण सिद्धांत एवं प्रक्रम 1.धातुकर्म (एल्युमिनियम, आयरन, कॉपर और जिंक के प्रमख अयस्क) 2.अयस्कों से शुद्ध धातु प्राप्त करना 3.अयस्क से धातु ऑक्साइड प्राप्त करना (निस्तापन ,भर्जन) 4.धातुकर्म का उष्मागतिकी सिद्धांत(आलिंघम आरेख) 5.आलिंघम आरेख के अनुप्रयोग (आयरन ऑक्साइड Read More …
f ब्लॉक के तत्व एक्टिनाइड परमाणु क्रमांक (90-103) के तत्वों को एक्टिनाइड करते हैं एक्टिनाइड तत्व एक्टिनियम (Ac) के बाद आते हैं इसलिए इन्हें एक्टिनाइड तत्व कहते हैं एक्टिनाइड तत्वों को एक्टिनॉन (An) भी कहते हैं सभी एक्टिनॉन रेडियो एक्टिव Read More …
f समुदाय के तत्व लैंथेनाइड (58-71) एवं एक्टिनाइड (90-103) तत्वों को f- ब्लॉक के तत्व कहते हैं क्योंकि इनका अंतिम इलेक्ट्रॉन f- उपकोश मे जाता है इनको संक्रमण तत्वों के मध्य से निकालकर आवर्त सारणी के नीचे दो श्रेणियों में Read More …