ठोसों में विद्युतीय गुण

ठोसों में विद्युतीय गुण

क्रिस्टलीय ठोसों में विद्युतीय गुण

क्रिस्टलीय ठोस विद्युतीय गुणों के आधार पर मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं l

चालक – ऐसे क्रिस्टलीय ठोस जिन में विद्युत धारा प्रवाहित होती है तथा जिनकी चालकता की परास 104 से 107 ohm-1m-1 होती है धातुओं की परास 107 ohm-1m-1 होती है l

कुचालक-ऐसे क्रिस्टलीय ठोस जिनमें विद्युत धारा का प्रवाह नहीं होता है तथा जिनकी चालकता की परास बहुत ही कम 10-20 से 10-10 ohm-1m-1 होती है l

अर्धचालक – इनकी चालकता चालको से कम होती है तथा चालकता की परास 10-6 से 104 ohm-1m-1 होती है l

उदाहरण – Si, Ge

चालको में विद्युत का चालन

धातु चालकों में क्रिस्टल में उपस्थित धातु परमाणुओं के परमाणु कक्षक आपस में अतिव्यापन करके अणु कक्षक बनाते हैं यह अणु कक्षक इतने पास पास होते हैं कि ये बैंड बना लेते हैं संयोजी कोश के परमाणु कक्षको से बना हुआ बैंड संयोजी बैंड कहलाता है l संयोजी बैंड के बाहर की तरफ रिक्त परमाणु कक्षको से बना हुआ बैंड चालन बैंड कहलाता है l

1.धातुओं में विद्युत का चालन अच्छी प्रकार से होता है क्योंकि इनके संयोजी बैंड आंशिक रूप से भरे होते हैं जिस कारण इलेक्ट्रॉन को विद्युत क्षेत्र में प्रवाहित होने के लिए स्थान उपलब्ध रहता है l

अथवा

इनके संयोजी बैंड रिक्त चालन बैंड से अतिव्यापन करके परिणामी रिक्त बैंड बनाते हैं जिसमें चालक के लिए स्थान उपलब्ध रहता है l

2.कुचालको में संयोजी बैंड व चालन बैंड के मध्य बहुत अधिक वर्जित ऊर्जा अंतराल होता है तथा संयोजी बैंड पूर्णतया भरे रहते हैं अतः विद्युत क्षेत्र में इलेक्ट्रॉन को प्रवाहित होने के लिए स्थान उपलब्ध नहीं रहता है इसलिए इनमें विद्युत का चालन नहीं होता है l

3.अर्ध चालकों में संयोजी बैंड तो भरे होते हैं लेकिन संयोजी बैंड व चालन बैंड के मध्य वर्जित ऊर्जा अंतराल बहुत कम होता है l

सामान्य कमरे के ताप पर भी कुछ संयोजी बैंड के इलेक्ट्रॉन चालन बैंड में चले जाते हैं जिससे इनमें विद्युत का चालन होता है l

ताप बढ़ाकर – जब अर्ध चालकों का तापमान बढ़ाया जाता है तो अधिक संख्या में इलेक्ट्रॉन संयोजी बैंड से चालन बैंड में चले जाते हैं इससे इनकी चालकता बढ़ जाती है l

अपमिश्रण द्वारा – यदि किसी अर्धचालक में क्रिस्टलन के समय विशेष प्रकार के दूसरे तत्व की अशुद्धि मिलाकर उसकी चालकता को बढ़ाया जाए तो इसे अपमिश्रण या डोपिंग (DOPING) कहते हैं l

 अशुद्धि मिलाने के आधार पर बने अर्धचालक दो प्रकार के होते हैं l

(1) n – प्रकार के अर्धचालक       (2) p – प्रकार के अर्धचालक

(1) n – प्रकार के अर्धचालक – यदि किसी अर्धचालक में (EX- Si , Ge ) में पंच संयोजी तत्व जैसे ( N,P,As,Sb,Bi) आदि तत्व की अशुद्धि मिलाई जाए तो इसके क्रिस्टल में कुछ जालक स्थलों पर पंचसंयोजी तत्व आ जाते हैं इस तत्व के 4 इलेक्ट्रॉन तो निकटवर्ती सिलिकॉन परमाणु से सहसंयोजक बंध बना लेते हैं और पांचवा इलेक्ट्रॉन क्रिस्टल जालक में मुक्त रहता है जिसकी वजह से इनकी चालकता बढ़ जाती है l चालकता ऋण आवेशित इलेक्ट्रॉन की वजह से होती है इसलिए इसे (नेगेटिव) n- प्रकार के अर्धचालक कहते हैं l

(2) p – प्रकार के अर्धचालक – यदि चतु संयोजी अर्धचालक जैसे (EX- Si , Ge ) आदि में त्रि संयोजी तत्व (B,Al,Ga,In,Tl) आदि की अशुद्धि मिला दी जाए तो क्रिस्टल जालक में कुछ सिलिकॉन या जर्मेनियम परमाणु वाले जालक स्थलों  पर त्रि संयोजी तत्व आ जाता है जिनके संयोजी कोश में तीन इलेक्ट्रॉन तीन निकटवर्ती परमाणुओं से सहसंयोजक बंध बनाते हैं चौथे इलेक्ट्रॉन की जगह खाली रह जाती है जिसे इलेक्ट्रॉन रिक्त या होल कहते हैं l जब इनमें विद्युत का चालन करते हैं तब निकटवर्ती इलेक्ट्रॉन इस हॉल को भरता है तथा उसके स्थान पर नया होल बन जाता है इस प्रकार विद्युत क्षेत्र के प्रभाव से इलेक्ट्रॉन गति करते हैं लेकिन ऐसा प्रतीत होता है जैसे हॉल विपरीत दिशा में गति कर रहा है l बोरोन सिलिकॉन परमाणु से इलेक्ट्रॉन ग्रहण करता है तो सिलिकॉन परमाणु पर धनात्मक छिद्र बन जाता है अतः इस प्रकार के अर्धचालको (पॉजिटिव) p – प्रकार के अर्धचालक कहते हैं l

13 एवं 15 वे वर्ग के तत्वों एवं 12 वे और 16 वर्ग के तत्वों को आपस में मिलाकर मिश्र धातुएं बनाई जाती हैं जिनकी औसत संयोजकता 4 होती है तथा इनमें अर्ध चालकों के समान ही गुण होते हैं

13 वा एवं 15 वा वर्ग — GaAs ,InSb

12 वा एवं 16 वा वर्ग – CdS, ZnS

संक्रमण तत्वों के कुछ ऑक्साइड चालकता में व्यापक अंतर प्रदर्शित करते हैं l

Example– TiO ,ReO3(रिहेनियम ऑक्साइड),CrO2 , दूसरी तरफ VO,VO2,VO3  आदि में तापक्रम पर आधारित चालकता पाई जाती  है l

अर्धचालको के उपयोग

1.इनका व्यापक उपयोग विद्युतीय उपकरण बनाने में करते हैं l

2.n व p प्रकार के अर्धचालको के संयुक्त उपयोग से डायोड बनाए जाते हैं l

3.फोटो डायोड का उपयोग सौर सेल बनाने में होता है l

4.ट्रांजिस्टर बनाने में

5.एक प्रकार के अर्धचालको की दो परतो के मध्य में सैंडविच करके ट्रांजिस्टर बनाए जाते हैं l

  • p n p
  • n p n

6.ट्रांजिस्टर का उपयोग श्रव्य संकेतों को समझने तथा उनका प्रवर्धन करने में करते हैं l

क्रिस्टलीय ठोसों में चुंबकीय गुण(Magnetic Properties in Crystalline Solids)

सभी पदार्थ परमाणुओं से मिलकर बनते हैं परमाणु में नाभिक के चारो और इलेक्ट्रॉन की गति की वजह से चुंबकीय गुण उत्पन्न होते हैं l

इलेक्ट्रॉन दो प्रकार से गति करते हैं l

1.कक्षीय गति – इलेक्ट्रॉन के नाभिक के चारों ओर गति को कक्षीय गति कहते हैं तथा इस गति की वजह से उत्पन्न चुंबकीय आघूर्ण को कक्षीय चुंबकीय आघूर्ण कहते हैं l

2.चक्रण गति – इलेक्ट्रॉन की अपने अक्ष पर घूर्णन गति को चक्रण गति कहते हैं तथा इसकी वजह से उत्पन्न चुंबकीय आघूर्ण को चक्रीय चुंबकीय आघूर्ण कहते हैं इन दोनों चुंबकीय आघूर्णो की वजह से चुंबकीय गुण उत्पन्न होता है इन चुंबकीय आघूर्ण बोर मैग्नेटोन में पाते हैं l

चुंबकीय गुणों के आधार पर पदार्थ निम्न प्रकार के होते हैं l

1.अनुचुंबकीय ठोस (Paramagnetic solid) – ऐसे पदार्थ जो चुंबकीय क्षेत्र की तरफ दुर्बल आकर्षित होते हैं l यह चुंबकीय क्षेत्र के प्रभाव में तो चुंबकीय रहते हैं और चुंबकीय क्षेत्र हटा लेने पर यह चुंबक की तरह व्यवहार नहीं करते हैं इनमें अयुग्मित इलेक्ट्रॉन पाए जाते हैं l

Example– Fe+3, Cu+2,Mn+2,O2, O2 ,TiO

2.प्रतिचुंबकीय ठोस (Diamagnetic solid) – ऐसे ठोस जो चुंबकीय क्षेत्र में दुर्बल प्रतिकर्षित होते हैं इनमें सभी कक्षक पूर्णतया भरे रहते हैं l

Example– NaCl, H2O ,BENZENE, ALCOHOLE, ETHER

Na+, Mg++ ,Al+++ (8e)

Cu+, Ag+ ,Zn++ (18e)

[O2-2 ,O2+2 ,Cu2O ,TiO2 ]

3.लौहचुम्बकीय ठोस (Ferromagnetic solid) – ऐसे पदार्थ जो चुंबकीय क्षेत्र की तरफ प्रबल आकर्षण से आकर्षित होते है l

इन पदार्थों में क्रिस्टल में धातु आयन छोटे-छोटे समूहों में व्यवस्थित हो जाते हैं जिन्हें डोमेन कहते हैं लौहचुम्बकीय पदार्थों में डोमेन अनियमित दिशाओं में वितरित रहते हैं जिनके चुंबकीय आघूर्ण आपस में निरस्त हो जाते हैं जब इन्हें चुंबकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो सभी डोमेन एक ही दिशा में हो जाते हैं अतः इनके चुंबकीय आघूर्ण आपस में जुड़ जाते हैं तथा चुंबकीय क्षेत्र हटा लेने पर भी यह चुंबक की तरह व्यवहार करते हैं l

Example– Fe, Mo, Co, Ni, CrO2

4.प्रतिलौहचुम्बकीय ठोस (Anti Ferromagnetic solid) – ऐसे पदार्थ जो चुंबकीय क्षेत्र में प्रबल प्रतिकर्षण से प्रतिकर्षित होते हैं उन्हें प्रति लौह चुंबकीय पदार्थ कहते हैं इनमें समानांतर और प्रति समानांतर दिशाओं में डोमेनों का समान वितरण होता है l

Example– MnO2 ,Mn2O3, Cr2O3 ,FeO, MnO

5.फेरीचुंबकत्व पदार्थ (Ferry magnetic substance) – इन पदार्थों में चुंबकीय गुण अनुचुंबकीय से अधिक व लौहचुंबकीय से कम होते हैं इनमें डोमेनों का वितरण समानांतर और प्रति समानांतर दिशाओं में असमान होता है l इन्हें गर्म करने पर फेरीचुंबकत्व को खो देते हैं और अनुचुंबकीय बन जाते हैं l

Example– MgFe2O4 , ZnFe2O4 ,Fe3O4 (मैग्नेटाइट)

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6 Comments

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  • 0 / 10
  • Rakesh verma , 30/11/2021 @ 4:14 अपराह्न

    Superb

  • Vicky choudhary , 11/12/2021 @ 12:05 अपराह्न

    Good sir

  • Ashok Kumar , 12/12/2021 @ 2:51 अपराह्न

    Thank you so much sir for this ? notes

  • Maya , 13/12/2021 @ 11:56 पूर्वाह्न

    Very good

  • Sonu Swami , 13/12/2021 @ 2:04 अपराह्न

    Very good

  • Jitin Kumar , 22/12/2021 @ 11:53 अपराह्न

    Great Work

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