
क्रिस्टलीय ठोसों में विद्युतीय गुण क्रिस्टलीय ठोस विद्युतीय गुणों के आधार पर मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं l चालक – ऐसे क्रिस्टलीय ठोस जिन में विद्युत धारा प्रवाहित होती है तथा जिनकी चालकता की परास 104 से 107 ohm-1m-1 Read More …
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क्रिस्टलीय ठोसों में विद्युतीय गुण क्रिस्टलीय ठोस विद्युतीय गुणों के आधार पर मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं l चालक – ऐसे क्रिस्टलीय ठोस जिन में विद्युत धारा प्रवाहित होती है तथा जिनकी चालकता की परास 104 से 107 ohm-1m-1 Read More …
ठोसो में अपूर्णता/दोष आदर्श क्रिस्टल –वह क्रिस्टल जिसमें अवयवी कण पूर्णतः की व्यवस्था अवयवी कण पूर्णतः नियमित होती है तथा सभी जालक बिंदुओं पर अवयवी कण स्थित होते हैं l वास्तविक क्रिस्टल – वह क्रिस्टल जिसमें क्रिस्टल कण अपने जालक बिंदु Read More …
एकक कोष्ठिका की विमा सम्बंधित गणनाएँ माना एक धातु M किसी प्रकार के घनीय क्रिस्टल में है यदि क्रिस्टल का घनत्व d, एकक कोष्ठिका के कोर की लम्बाई a, धातु का मोलर द्रव्यमान M, व आवोगाड्रो संख्या NA है तो Read More …
काय केंद्रित घनीय जालक (bcc) की संकुलन दक्षता ज्ञात करना अथवा
संकुलन दक्षता (Packaging efficiency) ठोसों में सभी प्रकार के निबिड़ संकुलन में कुछ ना कुछ रिक्त स्थान अवश्य ही रह जाता है परिभाषा:- क्रिस्टल जालक में कुल उपलब्ध स्थान का वह प्रतिशत जो अवयवी कणो द्वारा सम्पूरित रहता है उसे Read More …
तृतीय परत रखना द्वितीय परत पर तृतीय परत रखना (HCP व FCC/CCP) यदि द्विविमीय षट्कोणीय निबिड़ संकुलन की तीसरी परत द्वितीय परत पर रखते हैं तब 1. यदि तीसरी परत को द्वितीय परत की चतुष्फलकीय रिक्तिकाओं को ढकते हुए रखा Read More …
त्रिविमीय निबिड़ संकुलन द्विविमीय निबिड़ संकुलित परतो को एक के ऊपर एक व्यवस्थित करके यह सरंचना बनाई जाती है l द्विविमीय वर्गाकार निबिड़ संकुलित परतो से निबिड़ संकुलन — द्विविमीय वर्गाकार निबिड़ संकुलित परतो को एक के ऊपर एक व्यवस्थित Read More …
ठोसों में निबिड़ संकुलन निबिड़ संकुलित सरंचनाए क्रिस्टल में वह व्यवस्था जिसमें अवयवी कण क्रिस्टल निर्माण के समय इतने पास पास आ जाते हैं ताकि कम से कम रिक्त स्थान अर्थात गर्त रहे इससे धातुएं उच्च घनत्व व अधिक स्थाईत्व Read More …
अवयवी कणों की संख्या एकक कोष्ठिका से सम्बंधित अवयवी कण की संख्या ज्ञात करना (आद्य,फलक,काय,अन्त्य) सरल या आद्य एकक कोष्ठिका(Simple or primitive unit cell) इस एकक कोष्ठिका में अवयवी कण सिर्फ कोनो पर ही होते है कोनो का प्रत्येक कण Read More …
सात क्रिस्टल समूह एवं ब्रेवे जालक सरल या आद्य एकक कोष्ठिका सात प्रकार की होती है l सात क्रिस्टल ब्रेवे जालक एकक कोष्ठिका अक्षीय भुजाये अक्षीय कोण उदाहरण घनीय/आद्य /सरल घनीय (Cubic) अक्षीय भुजाये a=b=c अक्षीय कोण α=ᵝ=ᵞ=900 NaCl,Cu, ZnS,हीरा Read More …
क्रिस्टल या त्रिविम जालक एवं एकक कोष्ठिका (Crystal lattice or stereoscopic lattice and unit cell) परिभाषा (definition) —-क्रिस्टलीय ठोस के कण निश्चित ज्यामितीय व्यवस्था में स्थिर रहते हैं यदि प्रत्येक कण को एक बिंदु द्वारा प्रदर्शित करें या जालक में Read More …
क्रिस्टलीय ठोसों का वर्गीकरण क्रिस्टलीय ठोसों का वर्गीकरण 1. आयनिक ठोस — इनमें अवयवी कण आयन होते हैं अर्थात विपरीत आवेश होने पर प्रबल स्थिर विधुत आकर्षण बल से बंधे रहते है यह ठोस कठोर,भंगुर,गलनांक और क्वथनांक उच्च व ठोस Read More …
क्रिस्टलीय ठोस और अक्रिस्टलीय ठोस के गुणों में अंतर क्रिस्टलीय ठोस और अक्रिस्टलीय ठोस के गुणों में अंतर क्रिस्टलीय ठोस अक्रिस्टलीय ठोस इनकी ज्यामिति निश्चित इनकी ज्यामिति अनिश्चित निश्चित ताप पर पिघलते हैं अतः शीतलन वक्र असतत होता है l Read More …
ठोस अवस्था के सामान्य अभिलक्षण पदार्थ की तीन अवस्थाएं होती है ठोस,द्रव,गैस सभी ठोस कणों से मिलकर बने होते हैं यह कण परमाणु ,अणु तथा आयन हो सकते हैं l ठोसों का निश्चित आकार ,द्रव्यमान व आयतन होता है l Read More …
ठोस अवस्था परिचय गैस व द्रव को उनके प्रवाह के कारण तरल कहा जाता है इन दोनों में अणुओं में स्वतंत्र गति के कारण तरलता पाई जाती है जबकि ठोसों में ऐसा नहीं होता है ठोस अपनी माध्य स्थिति के Read More …